गोधुली सी शाम

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गोधुली सी शाम

गोधुली सी शाम

गोधुली सी शाम की तनहा चमकती रौशनी
रोपी तुमने हाँथ पे तनहा चमकती रौशनी
कुछ शक्लें बनायीं थी ज़मीं पे रौशनी को रोप कर
वो इंतज़ार में बैठी हैं के खो गयी है रौशनी

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