छोटी सी कागज़ की नाव

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छोटी सी कागज़ की नाव

छोटी सी कागज़ की नाव

छोटी सी कागज़ की नाव हिचकोलों में डोलती आगे बढ़ती थी
प्रेम अब उन हिचकोलों पे ज़्यादा था जिनपे वो आगे चलती थी
कितनी बार मेरी नाव की उन हिचकोलों से नहीं बनती थी
फ़िर भी दुश्मनी में दोस्ती का सबब ढूंढ लेती थीं

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