daraj mein

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दराज़ में पड़े कुछ पुराने ख़त कुछ आदतन किये तुम्हारे वादे कुछ सुखी पंखुड़ियाँ ग़ुलाबों की रात भर करवटें बदलते हैं

दराज़ में पड़े कुछ पुराने ख़त
कुछ आदतन किये तुम्हारे वादे
कुछ सुखी पंखुड़ियाँ ग़ुलाबों की
रात भर करवटें बदलते हैं

दराज़ में पड़े कुछ पुराने ख़त
कुछ आदतन किये तुम्हारे वादे
कुछ सुखी पंखुड़ियाँ ग़ुलाबों की
रात भर करवटें बदलते हैं

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