choti si baat
कैसे छोटी सी बात पे उस दिन लड़ पड़े थे हम
और कनखियों से बुन रहे थे प्यार के किस्से
जो आँखें दोस्ती का हाँथ थामे आगे बढ़ती थीं
तो शक्लें यूँ बनाते थे के जैसे जानते न हों
बड़ी कोशिश की चेहरे ने तुम्हें गुस्सा दिखाने की
फ़क़त ये सोच में बैठे की खुद से रुसवाई करें कैसे
तेरे आँखों के आईने मेँ तो हम ही रहते हैं
कैसे छोटी सी बात पे उस दिन लड़ पड़े थे हम
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