दरख़्त चुपचाप बैठे हैं
कितने किस्से समेटे बैठे हैं ये पेड़, डर में घुटते क्यों रहते हैं ये पेड़। In Hindi माथे पे नमकीन बरसात और गला सूखा पड़ा
कितने किस्से समेटे बैठे हैं ये पेड़, डर में घुटते क्यों रहते हैं ये पेड़। In Hindi माथे पे नमकीन बरसात और गला सूखा पड़ा
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