टूटते हिस्से
कल से बीमार खटिये पे पड़ी है माँ छोटू भी बेचारा कल से भूखा है जो पिछले महीने भेजे थे वो खर्च हो गए राशन
कल से बीमार खटिये पे पड़ी है माँ छोटू भी बेचारा कल से भूखा है जो पिछले महीने भेजे थे वो खर्च हो गए राशन
इलाहाबाद का एक छोटे मोहल्ले की एक छोटी सी कॉलोनी, माहौल थोड़ा गर्म था। गर्मी भी ग़दर पड़ रही थी और लोगों के दिल भी
तुम देश के पहरेदार बनकर हमको सुकून देते हो, और तुम्हारी वो छोटी कहानियाँ जो ज़मा-पूंजी है तुम्हारी हमको तुमपे नाज़ बहुत होता है। In
Recent Comments