भूत
“उल्लू बनाने के लिए, कोई नहीं मिला तुमको। जाओ किसी और से बोलो, तुम जैसे भिखारिओं से तो मैं बात भी नहीं करता। नया-नया रैकेट
“उल्लू बनाने के लिए, कोई नहीं मिला तुमको। जाओ किसी और से बोलो, तुम जैसे भिखारिओं से तो मैं बात भी नहीं करता। नया-नया रैकेट
Hindi Poetry/Quotes/Status कितने बँट गए हैं हम, कभी ख़ुदा के नाम पे, कभी मज़हब के नाम पे, कभी संस्कृती के नाम पे, कभी खाने के
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