रोज थोड़ा सा (Roz thoda sa)
Hindi Poetry/Quotes/Status रोज थोड़ा सा कितना जानती हो तुम मुझको, शायद मैं भी नहीं जानता। In Hindi क़िताबों की तरह पढ़ती रही तुम रोज़ थोड़ा
Hindi Poetry/Quotes/Status रोज थोड़ा सा कितना जानती हो तुम मुझको, शायद मैं भी नहीं जानता। In Hindi क़िताबों की तरह पढ़ती रही तुम रोज़ थोड़ा
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