भूख
आज लॉक डाउन ३ की शुरुआत, मैं कुछ ज़रूरी खाने का सामान लेने बाहर सड़क पे निकला ही था कि जन समूह ने घेर लिया
आज लॉक डाउन ३ की शुरुआत, मैं कुछ ज़रूरी खाने का सामान लेने बाहर सड़क पे निकला ही था कि जन समूह ने घेर लिया
“उल्लू बनाने के लिए, कोई नहीं मिला तुमको। जाओ किसी और से बोलो, तुम जैसे भिखारिओं से तो मैं बात भी नहीं करता। नया-नया रैकेट
इलाहाबाद का एक छोटे मोहल्ले की एक छोटी सी कॉलोनी, माहौल थोड़ा गर्म था। गर्मी भी ग़दर पड़ रही थी और लोगों के दिल भी
कुछ जानी, कुछ पहचानी, एक अनबूझ सी कहानी। कुछ नहीं से कुछ होने की कहानी। अंधेरों के रौशनी में डूबने की कहानी। कहानी वो जिसमें
आज बहस नहीं करनी तुमसे, ना झगड़ा करना है। चलो मान ली तुम्हारी सारी बातें। मान लिया खुदा ने धरती सात दिनों में बनायी थी,
A Hindi short story of a lamp-post starts from a small city and ends with a question. ये मेरी कहानी है, एक लैंप–पोस्ट की कहानी।
A Hindi short story of a boy and books in his library, friendship and their unimaginable love. मेरे घर में एक छोटी सी लाइब्रेरी है,
A Hindi short story of a boy and his dog, their unimaginable love with a life lesson. छोटा था मैं , यही कोई पाँच साल
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