बंद क़िताबों की पर सिसकियाँ सुनता है कौन

दर्द वो जो किताबें बयाँ नहीं कर सकती, और ऐसे ही कुछ दर्द जो हम बयाँ नहीं कर पाते। शायद इसलिये कि कोई सुनने वाला ही नहीं।
In Hindi
वक़्त सफ़्हा दर सफ़्हा पिघलता है यहाँ
बोलती हैं सभी तक़रीरें क़िताबों में लिखी
बयां करती हैं खुदाई को खुदा से अक्सर
बंद क़िताबों की पर सिसकियाँ सुनता है कौन
In English
Waqt safha dar safha pighalta hai yahan
Bolti hain sabhi takrirein kitabon mein likhi
Bayan karti hain khudai ko khuda se aksar
Band kitabon ki par siskiyan sunta hai kaun
* safha = page
* takrirein = speeches
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